



करीब 50 किमी का ट्रैक अकेले किया। पर यकीन मानिए पूरे सफर में एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि आपका नेचर से कनेक्शन टूटा हो। हालांकि चढ़ाई ने शरीर से धुआं निकाल दिया। कुछ चढ़ाई सत्तर से अस्सी डिग्री वाली थी।
वहां शरीर से ऐसी भाप निकल रही थी कि जैसे रोडियेटर गर्म होने पर कार के बोनट से भाप निकलती हो। जैसे तैसे मां के दरबार तक पहुंचे। सच में बेहद ही खूबसूरत स्थान पर मां धुआंदेवी विराजमान है। करीब एक घंटे तक वहां रूका, लेकिन वहां से आने का मन नहीं कर रहा था।
सुबह साढ़े छह बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक इन्हीं वादियों का लुत्फ उठाया और + वाइब लेकर वापिस लौट आए।
बहुत ही खूबसूरत
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