गुरुवार, 2 मार्च 2017

मेघदूत .....

मेघदूत .....
मानो प्राकृति ने अपनी संपूर्ण कथा इसमें भर दी हो। महाकवी कालीदास ने विरही यक्ष की वेदना को प्रकृति के अद्वितीय सौंदर्य से खूब संजोया है। मेघदूत स्थूल और सूक्ष्म भावों का निराला संगीत है। इसका भावालोक अपूर्व है। निसंदेह यह यौवन के ललाम भावों का सनातन धरातल है। सूपर्ण अर्थ लालित्य(सौंदर्य) युक्त है, उसके भीतरी अर्थों का कोई ओर छोर नहीं है। जब मेघ दूत का अर्थ समझने बैठते हैं तो प्राणों का प्रवाह तेजस्व हो उठता है। अनगिणत कल्पनाओं से उसका भाष्य करने लगता है।

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