गुरुवार, 2 मार्च 2017

....डीप कश



30 May 2015 .......डीप कश 

 सि‍ग्रेट  का  पहला कश कब खींचा था याद नहीं। शायद 14/15 साल का रहा हूंगा। कच्ची उम्र में जिस चाव और उत्सुकता से पहली बार जहरीला धुंआ निगला था। यकीन मानिए इतने साल बाद उस धुंए की गुलामी से आजाद होने में जरा भी समय न लगा। बस वही चाव और उत्सुकता मन मे थी, लेकिन इस बार सिग्रेट को पकडऩे की नहीं छोडऩे की।
 एक्टिव स्मोकरज में मिथ है कि धूम्रपान छोडऩा मुश्किल है। कैसे छोड़ सकते हैंं? खाली समय और तनाव में फैगिंग के बिना कैसे रहेंगे? ऐसा कुछ नहीं है। यह बहम है। दृढ़निश्चय से इस जहर को छोडऩे की कोशिश करो। जिंदगी सुंदर और शरीर तंदरूस्त लगने लगेगी। आज  करीब तीन साल  मैने इसी दृढ़निश्चय के साथ बिना नशे के गुजार दिए हैं। शायद मेरी तरह कई होंगे।
.....पर खैर मेरी जिंदगी में सिग्रेट छूटना एक चमत्कार ही है। 12-15 सिग्रेट रोज की डाइट थी। यानी 120-150 रुपए रोजाना खर्चा, ऊपर से सेहत की बैंड। हर रोज रात को सोते समय और सुबह उठते हुए खांसी और मुंह से निकलने वाली सिग्रेट की सडांध कहीं न कहीं मेरी नन्ही बेटी केया लंबे अरसे से महसूस कर रही थी। १६ फरवरी २०११२ को वह चंबा से छुट्टी काटकर सोलन वापिस पहुंची। उसी दौरान मेरी तबीयत भी थोड़ी बिगड़ी रहती थी। मेरी यह हालत वह कुछ अरसे से महसूस कर रही थी। मां के साथ टीवी देखते वक्त वह धुम्रपान के साइड इफेक्ट वाले विज्ञापन भी शायद बडे गौर से देख रही थी। उसी रात पूछने लगी की पापा टीवी में जो दिखाते हैं वह सच है। पूछा क्या? कहा कि टीवी में दिखा रहे थे कि सिग्रेट पीने वालों को कैंसर होता है। जिससे वह मर जाते हैं। आप भी तो पीते हैं अगर आपको यह हुआ तो हम क्या करेंगे। नशा छोडऩे का मन हुआ। तभी सोचा जितनी लिखी है उतनी तो भोगूंगा ही। तो सवाल भी उठा आ बैल मुझे मार यानी मौत को दावत क्यों दे रहा हूं। दिमाग की हवा निकल गई)
(..... कुछ खांसी ऊपर स केया की बातें, संवेदनशील हूं लिहाजा पूरी रात खड़े खड़े काटी। सुबह को बीपी शूट (120-180)! लगा एक साइड लगा सुन्न हो रही है। मरता क्या न करता! सोलन अस्पताल पहुंचा। डा अनुज से मुलाकात हुई और डा साहेब ने पूरे शरीर के टेस्ट लिख डाले। लिपिड के परिणाम तो छलांगे मार रहे थे। काउंसलिंग के दौरान दिमाग में बात बैठ गई। मतलब जीना है तो धुम्रपान छोड़ो। फिर उत्सुकता पैदा हुई कि रोजाना लगभग हर घंटे में एक दंडिका का धुआं अंदर खींचने वाला बिना इसके रह सकता है? बस चाव पैदा हुआ कि नशा छोडऩा है। छह माह के अंदर कम से कम दवाओं के बगैर शरीर तंदरूस्त करना है। साथ ही केया को बिना नशे वाला पापा बनके जो दिखाना था। बस उसी दिन आफिस आया। फिर सिग्रेट पीने का मन हुआ। रोक न सका। सिग्रेट मंगवाया और ठिकाने पर पहुंचकर उसे सुलगा तो लिया लेकिन कश अंदर नहीं ले सका। उस दिन को तीन साल हो चुके हैं और बिल्कुृल नशामुक्त!

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